तकनीक के साथ विज्ञान की बात


तकनीक के साथ, विज्ञान की बात” कार्यक्रम श्रुंखला के तहत तीसरा व्याख्यान
श्री भरत दोशी, वैज्ञानिक अधिकारी-जी द्वारा दिनांक 26.11.2021 को आईपीआर के सेमिनार होल में आयोजित किया गया और साथ ही इसे लाईव प्रसारित भी किया गयाl श्री भरत दोशी, वैज्ञानिक अधिकारी-जी ने "3D प्रिंटिंग तकनीक और अनुप्रयोग" (3D Printing Technology and its Applications) विषय पर एक वार्तालाप किया गया। उन्होनें इस प्रौद्योगिकी की सृजन यात्रा को व्यापक रूप से समझाया और वर्तमान में इसके बढ़ते उपयोग पर भी चर्चा कीl दोशी जी ने इस जटिल और महत्वपूर्ण विषय को हिंदी भाषा में बहुत ही सरलता से उजागर किया और इससे संबंधित वीडियो का भी प्रदर्शन किया गयाl  व्याख्या शृंखला को रोचक पूर्ण बनाने के उद्देश्य से प्रश्नोत्तर सत्र रखा गया, जिसमें वक्ता द्वारा श्रोताओं को इसी विषय के आधार पर कुछ प्रश्न पूछे गए जिसके उत्तर देने वाले श्रोताओं को पुरस्कृत किया गया l

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‘‘तकनीकी के साथ,विज्ञान की बात''कार्यक्रम का पहला व्याख्यान दिनांक 30.06.2021 को वर्चुअली आयोजित किया गया,जिसमें एलवीपीडी अनुभाग के डॉ. रितेश सुगंधी,वैज्ञानिक अधिकारी-जी नेविशाल आयतन प्लाज़्मा डिवाइस का कंप्यूटरीकृत संचालन एवं नियंत्रण (Computerized Operation and Control of Large Volume Plasma Device) पर बहुत की विस्तार से चर्चा की। डॉ. रितेश सुगंधी ने इस महत्वूर्ण् और जटील विषय पर बहुत सरल और आसान हिंदी में चित्र सहित पवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने वर्ष 1997 से प्रांरभ इस प्रणाली की सृजन यात्रा को व्यापक रूप से समझाया और वर्तमान में कंप्यूटर से संचालन एवं नियंत्रण की प्रक्रिया पर भी चर्चा की। उन्होंने विश्व भर में मूलभूत प्लाज़्मा अनुसंधान के बारे में जानकारी देने के साथ आईपीआर में एलवीपीडी पर किये जा रहे प्रयोगों का विस्तार से उल्लेख किया एवं प्लाज़्मा ऊर्जा, कण परिवहन की जांच, तरंग प्लाज़्मा अध्ययन और खगोलीय भौतीकीय घट्नाओँ पर भी चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं की शंकाओं का समाधान किया।
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`तकनीक के साथ विज्ञान की बात’ की श्रुंखला –2 में श्रीमती हिरल जोशी, वैज्ञानिक सहायक-सी द्वारा 2 अगस्त 2021 को दोपहर वेबिनार के माध्यम से “अप्रतिध्वनिक चैम्बर (Anechoic Chamber)“ विषय पर व्याख्यान दिया गयाl  अप्रतिध्वनिक चैम्बर क्यों और कैसे बनाया जाता है तथा इसकी आवश्यकता के बारे में चर्चा कीl इस चैम्बर का उद्देश्य किसी अनुप्रयोग के दौरान  बाहर से आती विद्युत् चुम्बकीय किरणों को चैम्बर के अंदर प्रवेश करने से रोकना है, ताकि बिना किसी व्यवधान के प्रयोग किये जा सकेंl उन्होंने बताया कि अप्रतिध्वनिक चैम्बर को बनाने से पहले उसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, आवृत्ती आदि पहलूओं पर विशेष ध्यान देना जरूरी हैl इस चैम्बर में NRL आर्च पद्धति से प्रयोग किये जाने की व्यवस्था की गई हैl नव निर्मित तकनीक पर सरल हिन्दी भाषा में प्रस्तुत व्याख्यान से सभी श्रोतागण लाभान्वित हुएl

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